uma rawat
8 अक्टू. 20234 मिनट
अपडेट किया गया: मार्च 10
Shardiya Navratri 2023 ज्योतिष के अनुसार इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही है जोकि बहुत ही शुभ माना जाता है
Shardiya Navratri 2023 नवरात्री का हिन्दू धर्म में सर्वप्रमुख स्थान है , नवरात्रि हिन्दू धर्म का तो प्रमुख पर्व है ही अन्य धर्म के लोग भी इसे उत्साह से मनाते है | नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान,शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। वैसे तो नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है 2 बार प्रमुख नवरात्री और 2 बार गुप्त नवरात्री | नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और महाकाली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिनके नाम और स्थान क्रमशः इस प्रकार है नन्दा देवी योगमाया (विंध्यवासिनी शक्तिपीठ), रक्तदंतिका (सथूर), माता शाकुम्भरी देवी सिद्धपीठ (सहारनपुर), दुर्गा( काशी), भीमा (पिंजौर) और भ्रामरी (भ्रमराम्बा शक्तिपीठ) नवदुर्गा कहते हैं। हिन्दू परम्परा में नवरात्रि का त्योहार, वर्ष में दो बार प्रमुख रूप से मनाया जाता है: 1. चैत्र मास में वासन्तिक नवरात्रि तथा 2. आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि। शारदीय नवरात्रि के उपरान्त दशमी तिथि को विजयदशमी पर्व मनाया जाता है।
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है, और मां दुर्गा की उपासना का यह पर्व भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है.
नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है, और लोग मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित करते हैं, गरबा और रामलीला के आयोजन भी किए जाते हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रही है और 23 अक्टूबर तक चलेगी |
नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा को समर्पित है | नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 अलग - अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है | नवरात्रि में जो भक्त माँ भगवती की विधिवत पूजा अर्चना करते है माँ आदिशक्ति उनका कल्याण करती है और मनोकामनाएं पूर्ण करती है
शारदीय नवरात्रि 2023 की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 को रात 11 बजकर 24 मिनट से प्रारम्भ होगी और 16 अक्टूबर 2023 को सुबह 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी | उदया तिथि में नवरात्रि का पहला दिन या प्रतिपदा तिथि 15 अक्टूबर 2023 को मान्य होगी |
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घट स्थापना की जाती है| शारदीय नवरात्रि २०२३ का पहला दिन 15 अक्टूबर 2023 को है | कलश स्थापना या घट स्थापना का उत्तम समय 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा | कलश स्थापना की कुल अवधि 46 मिनट की है |
कलश को उत्तर अथवा उत्तर पूर्व दिशा में रखें। जहां कलश बैठाना हो उस स्थान पर पहले गंगाजल के छींटे मारकर उस जगह को पवित्र कर लें। इस स्थान पर दो इंच तक मिट्टी में रेत और सप्तमृतिका मिलाकर एक सार बिछा लें। कलश पर स्वास्तिक चिह्न बनाएं और सिंदूर का टीक लगाएं। कलश के गले में मौली लपेटें।
जौ बोने के लिए मिटटी का पात्र
साफ़ मिटटी
मिटटी का एक छोटा घड़ा
कलश को ढकने के लिए मिटटी का एक ढक्कन
गंगाजल
सुपारी
1 या २ रूपये का सिक्का
आम के पत्ते
अक्षत/ कच्चे चावल
मौली /कलावा /रक्षा सूत्र
जौ
इत्र
फूल माला /फूल
नारियल
लाल कपडा /लाल चुन्नी
दूर्वा घास
गाय का गोबर
इस बार की नवरात्रि सूर्यग्रहण के साए में शुरु हो रही है भारत में सूर्यग्रहण 14 अक्टूबर को रात 8 बजकर 34 मिनट पर प्रारम्भ होगा और 15 अक्टूबर की सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर इसका समापन होगा | कलश स्थापना या घट स्थापना का उत्तम समय 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा | कलश स्थापना की कुल अवधि 46 मिनट की है |
नवरात्रि में कलश स्थापना देवी - देवताओ के आवाहन से पूर्व की जाती है | कलश स्थापना करने से पूर्व आपको कलश तैयार करना होगा जिसकी सम्पूर्ण विधि इस प्रकार है -
शास्त्रों में बताया गया है कि शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान कर लें और विधिवत पूजा आरंभ करें। नवरात्रि के नौ दिनों के लिए अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और कलश स्थापना के लिए सामग्री तैयार कर लें। कलश स्थापना के लिए एक मिट्टी के पात्र में या किसी शुद्ध थाली में मिट्टी और उसमें जौ के बीज दाल लें। इसके उपरांत तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उपरी भाग में मौली बांध लें।
इसके बाद लोटे में पानी भर लें और उसमें थोड़ा गंगाजल जरूर मिला लें। फिर कलश में दूब, अक्षत, सुपारी और रुपया रख दें। ऐसा करने के बाद आम या अशोक की छोटी टहनी कलश में रख दें। इसके बाद एक पानी वाला नारियल लें और उसपर लाल वस्त्र लपेटकर मौली बांध दें। फिर इस नारियल को कलश के बीच में रखें और पात्र के मध्य में कलश स्थापित कर दें। ऐसा करने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और मां दुर्गा की आरती करें।
शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा और अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है. इस पूरे अवधि को नौ दिन के रूप में मनाया जाता है, और प्रतिदिन एक विशेष रूप की पूजा की जाती है. निम्नलिखित हैं इसके दिनों के रूप:
15 अक्टूबर दिन रविवार - घट स्थापना , माँ शैलपुत्री पूजा
16 अक्टूबर दिन सोमवार - माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
17 अक्टूबर दिन मंगलवार - माँ चंद्रघंटा पूजा
18 अक्टूबर दिन वुधवार - माँ कूष्माण्डा पूजा
19 अक्टूबर दिन वृहस्पतिवार - माँ स्कन्दमाता पूजा
20 अक्टूबर दिन शुक्रवार - माँ कात्यायनी पूजा
21 अक्टूबर दिन शनिवार - माँ कालरात्रि पूजा
22 अक्टूबर दिन रविवार - माँ महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी
23 अक्टूबर दिन सोमवार - माँ सिद्धिदात्री पूजा, हवन
24 अक्टूबर दिन मंगलवार - विजयादशमी , नवरात्रि पारण , दुर्गा विसर्जन
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